दर्शना दिव्यांगों की जीवंत प्रेरणा बन कर उभरी है… ,कैलाश मंडलेकर,
वरिष्ठ साहित्यकारों ने दर्शना की लिखी प्रथम शिखर पुस्तक का किया लोकार्पण,
खंडवा।। लघुकथाकार अपने परिवेश से ही विषय चुनकर लघुकथा रचता है,इसीलिए रचना के पात्रों में पाठक कभी स्वयं को तो कभी अपने निकटस्थ को पाता है। लघुकथा अपने समय और समाज की विसंगतियों और विद्रूपताओं का खुलासा करती चलती है।दर्शना ने अपने दर्द को शब्दों में तब्दील कर पुस्तक रच दी है, दर्शना जैन के लघुकथा संग्रह प्रथम शिखर के लोकार्पण पर लघुकथा शोध केंद्र समिति भोपाल की निदेशक,मुख्य अतिथि कांता रॉय ने लघुकथा, रचनाकर्म और दर्शना की जिजीविषा को लेकर यह कहा, अध्यक्षीय उदबोधन में कैलाश मंडलेकर ने रोचक शैली में श्रोताओं को लेखक के दायित्वों और पीड़ा से अवगत कराया। साथ ही तीन महत्वपूर्ण लघुकथाओं से श्रोताओं को गुदगुदाया, दर्शना जैन ने अपने जीवन प्रसंगों की चर्चा करते हुए साहित्य से मिली ऊर्जा को अपनी सतत सक्रियता का आधार बताया, उन्होंने अपने आसपास के परिवेश को ही अपनी लघुकथाओं के पात्र व विषय बताया, समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि साहित्यकारों की नगरी खंडवा में दर्शना जैन द्वारा लघु कथा संग्रह प्रथम शिखर पुस्तक लिखी गई, जिसका लोकार्पण अतिथि के रूप में शामिल भोपाल की कांता राय एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कैलाश मंडलेकर द्वारा गरिमा पूर्ण कार्यक्रम में किया गया, रोटरी के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण जैन एवं समाजसेवी सरोज जैन की सुपुत्री दर्शना ने लोकार्पण से पूर्व एक कृति अपने माता पिता को अर्पित की। अतिथियों का स्वागत वरिष्ट पत्रकार एवं सद्भावना मंच के संयोजक प्रमोद जैन ने किया। इस अवसर पर शहर के प्रसिद्ध साहित्यकार, रंगकर्मी, गणमान्य नागरिक, आकाशवाणी के प्रतिनिधि, विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधिगण और परिजन एवं बाहर से पधारे अतिथिगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे। आभार सरोज जैन ने व्यक्त किया और संचालन गोविंद शर्मा ने किया।